Shree Swargashram Binsar Mahadev Temple |
दोस्तों जब हम रानीखेत से भतरोजखान की ओर निकले तो ताड़ी खेत से 2 किमी दूर हमें जंगलों के बीच एक आश्रम दिखायी दिया तो हम उत्सुकता वश वहां चले गये, वहां पहुंचने पर हमने जो देखा वह अद्भुत था, चीड के जंगल के बीच ताड़ के वृक्षों के तले एक बेहद शानदार आश्रम बना हुआ है, जिसका नाम है श्री स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव गीता भवन। श्रृद्धालु इस रमणीय स्थल पर ध्यान योग के माध्यम से अनंन्त शांति प्राप्त कर सकते हैं।
Shree Swargashram Binsar Mahadev Temple| Entry Gate |
जब हमने अंदर प्रवेश किया तो वहां अनेक छोटे-छोटे मंदिर बने हुए है और बाबा मोहन गिरी महाराज की समाधि स्थल भी है क्योंकि श्री पंचनाम जूना अखाड़ा के ब्रह्मलीन नागा बाबा मोहन गिरा महाराज ने ही सन् 1959 में इस मंदिर का जीर्णोंधार करवाया था, बताते हैं कि इससे पहले यहां एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था। जून के महीने में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन यहां एक बडे यज्ञ का आयोजन होता है जिसमें बहुत-बहुत दूर-दूर से लोग आकर शामिल होते हैं। ऐसी मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी की पूरी रात को जो महिला हाथ में दिया लेकर प्रार्थना करती है उसकी मन इच्छा पूरी होती है।
Shree Swargashram Binsar Mahadev Temple |
मैंने स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव मंदिर के बारे एक छोटा सा रोचक वीडियो भी बनाया है जो निश्चित तौर पर आपको पसंद आयेगा, वीडियो को देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें तथा मेरा चैनल सब्सक्राइब करना न भूलें:
इतिहास
कुछ जानकारों के अनुसार स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव मंदिर आदिकाल का बताया जाता है जबकि कुछ इसे 600 वर्ष मानते हैं। जबकि कुछ बताते हैं कि इसे राजा पीथू ने अपने पिता बिन्दू की याद में बनवाया था। सच्चाई जो भी हो लेकिन यहां एक दिव्य शांति का एहसास मुझे हुआ।
बताया जाता है कि वर्ष 1970 से इस मंदिर में अखंड ज्योति जल रही है। महंत 108 श्री महंत रामगिरि जी महाराज स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव मंदिर की सम्पूर्ण व्यवस्थाएं देखते हैं तथा यहाँ श्री शंकर शरण गिरी संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की गई है।
यहां पर धर्मशाला भी बनी है इसलिए ठहरने की समस्या नहीं हैं लेकिन प्रतिवर्ष मई जून में आयोजित होने वाले यज्ञ, गीता पाठ एंव शिव महापुराण के दौरान यहां बहुत ज्यादा भीड-भाड होती है इसलिए पूरी व्यवस्था के साथ आयें।।
ध्यान रखने योग्य बातें:
- मंदिर के भीतर कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं है
- मंदिर में लगी घंटियों को बजाने की भी मनाही है
- शालीन कपडे पहनें
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