रुद्रनाग से दिखायी देता खूबसूरत नजारा
खीर गंगा के बारे में जानिए
यहां तक पहुंंचने के लिए भुंंतर, कसोल, मणिकरण और भरसैणी तक सड़क मार्ग और आगे का 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना होता है।
खीर गंगा ट्रेक की शुरुआत
भरसैणी में पार्वती नदी पर बने डैम के पास उतरते ही जैसे आप नीचे उतरते हैं तो आपको सामने पार्वती और धौली-गंगा का संगम और पार्वती घाटी का अद्भुत नजारा दिखायी देता है। धौलीगंगा नदी पर बने पुल को पार करते ही असली सफर शुरु हो जाता है यहां से आगे पार्वती नदी के किनारे चलते हुए पल-पल बदलते नजारों का आनंद लिया जा सकता है, जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे, भरसैणी से लगभग 1 घंटे की चढ़ाई के बाद नकथान गांव पड़ता है यह इस रास्ते पर आखिरी गांव है, यहां पर सैलानी थोड़ी देर रुक कर आराम कर सकते हैं और कुछ खा-पी सकते हैं, यहां से काफी अच्छा नजारा दिखता है और यहां बहुत सारे सेव के बाग हैंं।
सेवों से लदा पेड़
आगे जाने पर रुद्रनाग नाम की जगह आती है जहां पत्थर के ऊपर से झरना गिरता है जो काफी सुंदर लगता है, यहां से थोड़ा आगे चलने पर पार्वती नदी पर एक पुल आता है जिसके बाद का ट्रेक घने जंगल के बीच होकर जाता है, रास्ते में आपको कैफे मिल जायेंगे जहां आप रुककर कुछ खा-पी भी सकते हैं।
पत्थर से गिरता झरना
खीर गंगा में पहुंचने पर थकान मिट जाती है
खीर गंगा पहुंचने पर आपको अलग ही नजारा दिखता है यहां के बुग्याल और उन पर मखमली घास आपकी थकान को छू-मंतर कर देती है अगर थोड़ी बहुत थकान रह गयी हो तो आप यहां मौजूद गर्म पानी की धारा में अपनी थकान उतार सकते हैं। यहां पर ठहरने और खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था है, आप टेंट में ठहर सकते हैं या पक्की जगह में ठहर सकते हैं खाने-पीने के लिए रेस्टोरेंट भी है, अगर अपना ब्रश, शैम्पू, टूथपेस्ट और फेसवॉश लाना भूल गये हैं तो कोई बात नहीं यहा एक स्टोर भी है जहां से आप सुपर स्टोर की तरह शॉपिंग कर सकते हैं।
खीर गंगा में गर्म पानी के कुंड का नजारा
वैसे तो गर्म पानी की धारा मनीकरण गुरुद्वारे के भीतर भी है लेकिन यहां की बात ही अलग है 1-2 घंटे गर्म पानी में बिताने के बाद सारी थकावट दूर हो जाती है। उसके बाद आप घास के मैदानों के नजारों और सामने की चोटिंयों का आनंद उठा सकते हैं।
पार्वती घाटी का मनमोहक नजारा
खीर गंगा में सैलानियों के ठहरने के लिए लगे टेंट्स
यह ट्रेक साल में करीब 7 महीने खुला रहता है। सर्दियों में पहाड़िया बर्फ से ढकी रहती है वहीं बरसात के मौसम में यहां की हरियाली आपको मंत्र-मुग्ध कर देती है, बरसात में फिसलन और लैंड स्लाइड का डर भी रहता है।
रास्ता काफी लंबा और पथरीला है इसलिए ट्रैकिंग शूज होना बहुत जरुरी है र्स्पोर्ट्स शूज में परेशानी हो सकती है क्योंकि वे ज्यादा सुरक्षित नहीं होते हैं, कई लोग चप्पल और सैंडल पहनकर ही ट्रेक करने देते हैं जिसमें चोट लगने और छाले पड़ने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है, जिसके आपका अनुभव मुश्किलों से भरा हो सकता है। इसलिए पूरी तैयारी के साथ जाना समझदारी है।
खीर गंगा का अप्रिय अनुभव
यहां मैं अपने अनुभव को आप सभी के साथ बांटना चाहूंगा क्योंकि हमारा दिल्ली से कसोल तक का सफर काफी परेशानी भरा था, हमें दिल्ली से भुंतर पहुंचने में लगभग 22 घंटे लगे थे जबकि वोल्वो 12-13 घंटे लेती है, वास्तव में हम टूर ऑपरेटर के लुभावने विज्ञापन के झांसे में आ गये थे और यह सोचते हुए ट्रिप बुक करा लिया कि कुछ नया अनुभव करने को मिलेगा लेकिन सब कुछ इसका उल्टा हुआ, वह अपने वायदों पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरा जिसकी वजह से हमें परेशानियों से जूझना पड़ा इसलिए अगर आप भी टूर ऑपरेटर के साथ जाने की सोच रहे हैं तो पहले उसके रिव्यू पढ़ लें या उसकी जांच पड़ताल कर लें।
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