योग का मतलब है मिलन और आसन का मतलब है मुद्रा।
योगासन के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
योग आसन करने के लिए, आपको एक साफ ऊनी कंबल की आवश्यकता होती है, यदि संभव हो, कमरे में खिड़की हो जहां से आप सुबह में पूर्व की ओर और शाम को पश्चिम की ओर देख सकें। कमरा स्वच्छ और बढ़िया हवादार होता है।
सूर्य नमस्कार का अर्थ और लाभ
इस अद्भुत ऊर्जा देने वाले अभ्यास का अर्थ और भाव: सूर्य नमस्कार को “सन सैल्यूट” कहा जाता है। सूर्य यानि सन और नमस्कार मतलब स्वागत। मैं सूर्य को नमस्कार करता हूं जो हमारे ग्रह पर सभी चीजों को बढ़ने और समृद्धि होने की अनुमति देता है। यह जीवन का हमारा प्रकाश और शक्ति है। इस प्रकार इसका अभ्यास करने के कारण यह शक्ति हमारी प्रत्येक कोशिका में बहती है। इस तरह अभ्यास हमारे मन और तल को स्वस्थ रखता है।
प्रारंभ: आंखे बंद करके सीधे खड़े हो जायें और सूर्य की दिशा में हाथ जोड़ लें और प्रकाश, शक्ति और प्राण शक्ति के दाता का स्वागत कीजिए। अब अभ्यास शुरु करें। मुद्राओं को धीरे-धीरे, बिना किसी तेज हरकत के और आसानी से करें। जब भी आपको दर्द महसूस होता है, वापिस अपनी मुद्रा में आ जायें और 10-15 सेकेंड्स का विश्राम लें।
नियमित रुप से सुबह 6 बार और शाम को 6 बार अभ्यास करने पर, आप ज्यादा स्थिर, चुस्त और सुंदर बन सकते हैं। पूरा शरीर पवित्र ओज की शक्ति से परिपूर्ण हो जाता है। सभी मांस-पेशियां मजबूत हो जाती है, जोड़ लचीले, रीढ़ की हड्डी दृढ़ हो जाती है और साथ ही साथ, आंतरिक अंगों की मालिश भी हो जाती है। यह सामान्य तौर पर जिमनास्टिक्स और खेल पर योग आसनों का लाभ है।
सूर्य नमस्कार के सामंजस्यपूर्ण अभ्यास में बारह आसन हैं। उन्हें तनाव या प्रयास के बिना आसानी से और सरलता से किया जाना चाहिए। आसनों का च्रक 1-2 मिनट का होना चाहिए और समय के साथ धीरे-धीरे 3 पूर्ण चक्रों से 6 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
धीरे धीरे शुरूआत कीजिए, अपने शरीर को कस लें और अपने आप खींचे नहीं। अपने शरीर की सुनें। अगर आपको थकान महसूस होती है, तो लेट जायें, अपनी आंखे बंद करें और मौनता का आनंद लें। अगर, आराम करने के बाद, आपके पास समय है और मन करता है, चक्र पूरा करें और अभ्यास को फिर से दोहराएं। यदि आपने लंबे समय से कोई योग मुद्रा या अन्य अभ्यास नहीं किए हैं, तो इन्हें धीरे-धीरे करना महत्वपूर्ण है। योग के अभ्यासों से आपको पसीना नहीं चाहिए, सांस भारी नहीं होनी चाहिए या अचानक हरकत नहीं करनी चाहिए। व्यायाम को नियमित और आसान बनाएं और फिर आप देखेंगे कि आपकी स्थिति धीरे-धीरे बढ़ रही है।
मेरी यह सिफारिश है कि आप योग आसनों को सिद्ध योग गुरु से सीखें!
सूर्य नमस्कार के दौरान धीरे-धीरे और निश्तित लय में सांस लेने की सलाह दी जाती है:
1 जब आप अपनी रीढ़ को तानते हैं, तनकर खड़े होते हैं या हाथों को ऊपर उठाते हैं तो आपको आसान और गहरी श्वास लेनी चाहिए
2. झुकते समय, शरीर को हिलाते या कमर को मोड़ते समय, आपको आराम से श्वास छोड़ना चाहिए। यह अभ्यास को आसान बनाता है और प्राण (जीवन ऊर्जा) प्रवाह को सभी कोशिकाओं में प्रवेश करने देता है। हर आसन को लगभग 5-10 सेंकेंड्स तक रखें।
यदि आपको कोई शारीरिक बीमारी है, तो कृपया इनमें से किसी भी अभ्यास को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।
चित्रों के माध्यम से पूरेे चक्र को दर्शाया गया है
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जिन्होंने इस अभ्यास को अभी-अभी शुरु किया है, उन्हें पहले 14 दिनों तक केवल एक चक्र करना चाहिए उसके बाद धीरे-धीरे 6 चक्रों तक बढ़ाना है।
3 मिनट की आराम की स्थिति के साथ खत्म करना महत्वपूर्ण होता है। पीठ के बल आराम से लेट जायें और आंखे बंद कर लें। हाथें को शरीर के बगल में रखें। मन और तन को आराम करने दें।
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