Monday, April 24, 2017

तुंगनाथ - शिव के दर्शनों के साथ प्रकृति के नजारों के भी दर्शन कीजिए


ॠषिकेश से 211 किमी. की दूरी पर रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में स्थि‍त तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव के पंच केदारों – केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, मद्धयमाहेश्वरऔर कल्‍पेश्‍वर में से एक है जिन्‍हें तृतीय केदार कहा जाता है और भगवान शिव के अंगों के तौर पर जाना जाता है। समुद्रतल से लगभग 3700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिवजी का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर एक हजार साल पुराना है।

धार्मिक स्‍थल होने के साथ-साथ यह बहुत मशहूर ट्रेकिंग डेस्‍टीनेशन भी है। चोपता से तुंगनाथ बाबा के मंदिर की दूरी लगभग साढ़े तीन किलोमीटर है और वहां से दो किलोमीटर आगे चंद्रशिला समिट है। मंदिर तक चढ़ाई थोड़ी मुश्किल है और समुद्र तल से ऊंचाई अधिक होने से सांस लेने में थोड़ी दिक्‍कत हो सकती है मगर रास्‍ते पर चलते हुए आपको चौखंभा, नंदा देवी, नीलकंठ, कोमेट और केदारनाथ पर्वतों की झलक देखने को मिलती है।

हालांकि हम यहां दिसंबर के महीने में गये थे और बर्फ ज्‍यादा होने के कारण चंदशिला तक नहीं जा पाये थे। चोपता में भी इतना ज्‍यादा बर्फ थी कि हमें चोपता से भी काफी नीचे से ट्रेक करके जाना पड़ा।

बिनसर महादेव, पौड़ी गढ़वाल


दिसंबर 2012 की बात है हम दोस्‍तों ने मिलकर तुंगनाथ जाने का फैसला किया और हम रात को करीब उत्‍तराखंड रोडवेज में बैठे और करीब 4 बजे ॠषिकेश पहुंचे वहां पर ड्राइवर बदल जाता है करीब 5 बजे बस चली तो सभी के नींद न जाने कहां उड़ गयी थी क्‍योंकि ड्राइवर बस बहुत ही तेज चला रहा था उसने कारों तक को पीछे छोड़ दिया था। हम देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग होते हुए करीब 10 बजे कुंड पहुंचे यहां से सड़क गुप्‍तकाशी और केदारनाथ की ओर चली जाती है और एक ऊखीमठ, चोपता के लिए। हम करीब 11 बजे ऊखीमठ पहुंचे और GNVN गेस्‍ट हाउस में डोरमेट्री ले ली क्‍योंकि सभी लोग साथ में रहना चाहते थे। हम करीब 12 बजे ऊखीमठ मार्केट पहुंचे और वहां पर खाना खाया उसके बाद टैक्‍सी पकड़कर सारी गांव के लिए निकल गये। यहां से देवरिया ताल के लिए चढ़ाई शुरु होती है, रास्‍ता काफी अच्‍छा बना हुआ है लेकिन थोड़ी मुश्किल चढ़ाई है हम करीब 2 घंटे में देवरिया ताल पहुंचे इसे यक्ष ताल भी कहा जाता है ऐसा माना जाता है कि महाभारत में यहीं पर यक्ष ने युद्धिष्‍ठर से प्रश्‍न पूछे थे। यहां ताल के अलावा घास का बहुत बड़ा बुग्‍याल है जहां से चौखंभा पर्वत का नजारा खूबसूरत दिखायी देता है और आपकी थकान को पूरी तरह मिटा देता है। हमने वहां नर्म घास पर करीब एक घंटे तक गुनगुनी धूप का मजा लिया और उसके बाद वापिस गेस्‍ट हाउस में आ गये।

अगले दिन हम सुबह-सुबह चोपता के लिए निकले लेकिन चोपता से करीब 3 किमी. पहले रास्‍ता बंद था इसलिए हमें चोपता तक पैदल ही जाना पड़ा। चोपता में सभी ने नाश्‍ता किया और आगे बढ़े। मगर ठंड और घुटनो तक बर्फ होने के कारण हमें साढ़े तीन किलोमीटर चढ़ने में ही करीब 3 घंटे लग गये। हम सभी में से किसी के पास भी पानी नहीं था और प्‍यास के मारे सभी का बुरा हाल था। इसलिए पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिए और अपने साथ पानी भरपूर मात्रा में रखें।

घुटनों तक बर्फ होने के कारण हम किसी तरह से मंदिर तक ही पहुंच पाये और वहीं से वापिस आ गये।

रुद्रप्रयाग जहां मंदाकिनी और अलकनंदा का मिलन होता है

कब जायें:

अप्रैल, मई जून, जुलाई, सितंबर, अक्‍टूबर और नवंबर यहां जाने के लिए सबसे अच्‍छे महीने हैं। बरसात में यहां का नजारा ही कुछ और होता है चारो तरफ हरे-हरे बुग्याल आपका मन मोह लेते हैं।

सर्दियों में यहां बहुत ज्‍यादा बर्फबारी होती है इसलिए मंदिर तक पहुंचना मुश्किल होता है इसके अलावा मंदिर भी बंद होता है।

कैसे जायें:

तुंगनाथ जाने के लिए आप दिल्‍ली से सीधी बस ले सकते हैं या ॠषिकेश से उत्तराखंड रोडवेज की बस पकड़ सकते हैं या रेल मार्ग से हरिद्वार तक और आगे बस से जा सकते हैं, रात को करीब 8 बजे कश्‍मीरी गेट से गुप्त काशी के लिए बस चलती है जो सुबह करीब 10 बजे कुंड छोड़ देती है वहां से टैक्‍सी लेकर ऊखीमठ जा सकते हैं।

कहां ठहरें:

यक्ष ताल और सामने दिखायी देता चौखंभा पर्वत

अगर आप देवरिया ताल जाना चाहते हैं तो आप ऊखीमठ में GNVN या अन्‍य होटलों में ठहर सकते हैं
यदि आप सीधे तुंगनाथ जाना चाहते हैं तो आप चोपता में ठहर सकते हैं, यहां पर भी ठहरने की पूरी व्‍यवस्‍था है।

तुंगनाथ के आस-पास की जगहें

सारी गांव से देवरिया ताल ट्रेक कर सकते हैं जहां आप मनमोहक चौखंभा पर्वत का आनंद ले सकते हैं चाहे तो वहां भी कैम्‍प कर सकते हैं या शाम तक वापिस ऊखीमठ आ सकते हैं रात को वहीं रुक सकते हैं।

यह मंदिर देवरिया ताल जाते समय रास्‍ते में है

आप ओंकारेश्‍वर मंदिर, चंद्रशेखर महादेव मंदर और अर्धनारीश्‍वर मंदिर जा सकते हैं।

चोपता जायें जो एक बहुत ही खूबरसूरत जगह है इसे मिनी स्विजटरलैंड भी कहा जाता है। यह देवदार, चीड़, बांज, बुरांस के पेड़ो से ढकी छुट्टियां बिताने के लिए बहुत उपयुक्‍त जगह है।

चोपता के लिए निकलें, यह जगह भी सैलानियों की पसंदीदा है यहां पर भी ठहरने की पूरी व्‍यवस्‍था है केवल सर्दियों के अलावा जब बहुत ज्‍यादा बर्फ पड़ती है।

मौसम: यहां का मौसम गर्मियों में सुहाना रहता है और दिन में तापमान अधिकतम 16-19 डिग्री सेल्सियस तक जाता है लेकिन रात को ठंड रहती है। इसलिए गर्म कपड़े ले जाना न भूलें।


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