नेपाल जिसे देवताओं का घर भी कहा जाता है
भारत के उत्तर में बसा नेपाल (Nepal) रंगों से भरपूर एक खूबसूरत देश है। यहां वह सब कुछ है जिसकी तमन्ना एक आम सैलानी को होती है। देवताओं का घर कहे जाने वाले नेपाल विविधाताओं से पूर्ण है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर यहां बर्फ से ढ़कीं पहाड़ियां हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थस्थान है। रोमांचक खेलों के शौकीन यहां रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइमिंग, ट्रेकिंग, जंगल सफारी और स्कीइंग का भी मजा ले सकते हैं। दुनिया की 14 सबसे ऊंची चोटियों में से 8 नेपाल में ही हैं जिनमें Everest (सागर माथा) दुनिया की सबसे ऊंची और प्रसिद्ध चोटी है।
नेपाल की खूबसूरती देखने के लिए इस वीडियो को देखें
हम भी इस आकर्षण से बच नहीं पाये और तय किया कि कम से कम एक Trek नेपाल में बनता ही है। हमने लगभग 6 महीने पहले ही अपना टूर बुक करा लिया था दिन गिनते-गिनते आखिरकार वह दिन आ ही गया।25 सितंबर 2015, आज हम दोनों भाई बहुत ज्यादा ही उत्साहित हैं और समय से काफी पहले ही एयरपोर्ट पहुंचे गये। टिकिट काउंटर पर पहुंचे तो पता चला कि आधार कार्ड से काम नहीं चलेगा हमारे पास या तो पासपोर्ट या वोटर आईडी कार्ड होना चाहिए। मेरे पास तो पासपोर्ट था लेकिन भाई के पास नहीं था, उस समय लगा कि हो गया काम, लेकिन बैग टटोलने पर उसे वोटर कार्ड मिल गया, हमारी जान में जान आयी।
नेपाल भ्रमण का पहला दिन (दिल्ली से काठमांडू)
आज मैं और मेरा भाई सुबह दिल्ली से 11 बजे की फ्लाइट से लगभग दोपहर 12.30 काठमांडू (Kathmandu) के त्रिभुवन हवाई अड्डे पर पहुंचे, यह नेपाल (Nepal) का एकमात्र अंर्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जब हम यहां पहुंचे तो मौसम काफी सुहावना था। एयरपोर्ट से बाहर निकलने पर कार तैयार थी, जो हमे होटल तक ले गयी, होटल में पहुंचने पर हम टूर ऑपरेटर से मिले और काजगी कार्यवाही पूरी करने के बाद कमरे में चले गये, ऑपरेटर ने बताया कि आज हमारा सिटी टूर है इसलिए हम जल्दी से तैयार होकर काठमांडू घूमने निकल पड़े, हमारा ड्राइवर हिन्दी जानता था इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं हुुई वह पहले हमें बौद्ध नाथ स्तूप ले गया और उसके बाद हम पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने गये।नेपाल का प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर
काठमांडू नेपाल की राजधानी है जो यहां का सबसे बड़ा शहर भी है, यहां बहुत सारे दर्शनीय स्थल हैं इनमें प्रमुख है प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर, भगवान पशुपतिनाथ का यह खूबसूरत मंदिर काठमांडु से करीब 5 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है। बागमती नदी के किनारे स्थित इस मंदिर के साथ और भी मंदिर बने हुए हैं। पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में माना जाता है कि यह नेपाल में हिंदुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थस्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। गोल्फ कोर्स और हवाई अड्डे के पास बने इस मंदिर को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।
पशुपतिनाथ मंदिर के अलावा बौद्धनाथ, दरबार स्क्वेयर और स्वयंंभूनाथ दर्शनीय स्थल हैं और खरीददारी, खाने-पीने की जगहों में थमेल सबसे प्रसिद्ध जगह है।
बौद्धनाथ स्तूप (Baudhnath Stupa) |
बौद्धनाथ प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप तथा तीर्थस्थल है। यह दुनिया के सबसे बड़े स्तूपों में से एक माना जाता है और यह विश्व धरोहर में शामिल है। भूकंप में इसे काफी नुकसान पहुंचा था।
नेपाल में साप्ताहिक छुट्टी शनिवार को होती है इसलिए आज यहां बहुत चहल-पहल थी। स्थानीय लोग भी काफी तादाद में मौजूद थे।
शहर घूमने के बाद हम वापिस होटल आ गये और थोड़ी देर आराम करने के बाद हम फिर से निकल पड़े थमेल मार्केट घूमने यह बहुत कमाल की जगह है भारत में ऐसी जगह शायद ही कहीं हो,यहां पर आप खरीददारी के साथ-साथ हर तरह के खाने का मजा ले सकते हैं यहां बहुत सारे रेस्टोरेंट्स और नाइट क्लब्स हैं। घूूमने के बाद हम तिब्बती रेस्टोरेंट में गये और खाना खाया उसके बाद वापिस होटल आ गये। पहला दिन काफी अच्छा बीता, कल हमें पोखरा के लिए निकलना है।
नेपाल भ्रमण का दूसरा दिन (काठमांडू से पोखरा)
हम सुबह 8 बजे तैयार होकर होटल लॉबी में गये जहां हमारे लिए कार तैयार थी और करीब 8.30 पोखरा के लिए निकल पड़े, काडमांडू से पोखरा तक जाने में लगभग 6 घंटे का समय लगा रास्ता बहुत सुंदर था बिल्कुल हमारे उत्तराखंड जैसा, एक पल के लिए भी नहीं लगा कि मैं नेपाल में हूं। वैसी ही घुमावदार सड़के, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, तेज बहती नदियां, सीढ़ीदार खेत, पल-पल बदलते नजारे और लहलहाती फसलें। हम दोपहर में लगभग 2.30 बजे पोखरा पहुंच गये यहां भी होटल और सिटी टूर पहले से बुक था इसलिए हम थोड़ी देर आराम करने के बाद लगभग 5 बजे पोखरा घूमने निकल गये।Devis Fall at Pokhara |
काठमांडू के बाद पोखरा नेपाल में सबसे लोकप्रिय जगह है इसे झीलों और पहाड़ों का शहर भी कहा जाता है यह काठमांडू से लगभग 200 किमी की दूरी है और यहां विमान से भी जाया जा सकता है यह फेवा झील के किनारे बसा एक बहुत खूबसूरत शहर है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देता है खासकर रात में, नेपाल आने वाले सभी पर्यटकों को पोखरा अवश्य जाना चाहिए, यहां की नाइट लाइफ बहुत शानदार है।
हम होटल से निकलने के बाद सबसे पहले डेविस फाल देखने गये इस फॉल से गिरने वाला पानी सुरंग में गिरकर गायब हो जाता है, सुरंग 150 मीटर लंबी है और जमीन से 100 फीट नीचे है। सुरंग के आखिर में पानी एक गुफा से गुजरता है जिसे गुप्तेश्वर महादेव कहा जाता है। यह स्थानीय लोगों और सैलानियों का मुख्य आकर्षण है।
गुप्तेश्वर महादेव गुफा, Pokhara |
डेविस फॉल के बाद हम गुप्तेश्वर महादेव गुफा में गये यह गुफा जमीन से 150 मीटर नीचे है, डेविस फॉल से गायब होने वाला पानी यहीं पर दिखायी देता है, बरसात का मौसम होने के कारण पानी का बहाव बहुत तेज था इसलिए ज्यादा नीचे नहीं जाने दिया गया।
Fewa Lake at Pokhara |
यहां से हम सीधे फेवा फील गये हल्की-हल्की बारिश हो रही थी इसलिए हमने बोटिंग करने से मना कर दिया। उसके बाद हम पोखरा मार्केट में घूमने निकल गये यहां भी बहुत चहल-पहल थी, उस दिन अंर्तराष्ट्रीय पर्यटक दिवस भी था इसलिए जगह-जगह सांस्कृति कार्यक्रम चल रहे थे जहां कलाकार लोक-गीतों पर नाच रहे थे और तरह-तरह की प्रतियोगिताएं भी चल रही थी, हमने काफी एंजॉय किया और नेपाल की लोकल बीयर एवरेस्ट और खुखरी पी, ये दोनो बीयर बहुत स्मूद हैं, घूमने के बाद हम रात करीब 11 बजे होटल पहुंचे और सो गये।
कल हमारा असली सफर शुरु होगा जिसके लिए हम यहां आये है हम Poon Hill Trek के लिए निकलेंगे अब से अगले 4 दिन हम हर रोज लगभग 8-9 किमी. पैदल चलेगें।
नेपाल भ्रमण का तीसरा दिन (पोखरा - नयापुल - हिले)
नाश्ता करने के बाद हम पोखरा से नयापुल की ओर निकल पड़े, हमें कार से 1.5 घंटे का समय लगा। नयापुल से थोड़ी दूर पैदल चलने पर हमने झूला पुल पार किया। उसके बाद हम मोदी नदी के किनारे बसे बीरेथांती पहुंचे।यहां से पहाड़ी इलाका शुरु हो जाता है, हर पर्यटक को यहां पर एंट्री करनी होती है, एंट्री कराने के बाद हम बांस के जंंगल में चलते हुए एक बड़े से पानी के झरने से गुजरे। हम भुरुंदी नदी के किनारे चलते हुए आगे बढ़ें और खड़ी चढ़ाई चढ़ते हुए करीब 2.30 बजे दिन में हिले पहुंचे रात को हम यहीं रुकेंगे यहां काठमांडू या पोखरा जैसी सुविधाएं नहीं हैं। हमने दाल-भात जो यहां का मुख्य भोजन है खाया और आराम किया। कल हम घोरेपानी के लिए निकलेंगे।
नेपाल भ्रमण का चौथा दिन (हिले से घोरेपाणी)
सुबह हम नाश्ता करने के बाद घोरेपानी के लिए निकल गये हिले से थोड़ी दूर चलने के बाद एक झूला पुल आता है जहां से एक खूबसूरत झरना दिखायी देता है।
इस पुल का पार करने के बाद एकदम खड़ी चढ़ाई शुरु होती है जिसमें लगभग 3000 पत्थर की सीढ़िया हैं। हम लगातार बस ऊपर की तरफ चढ़ते जा रहे थे कहीं पर भी रास्ता सीधा या ढलान वाला नहीं था। हम उल्लेरी, बनथांती होते हुए नंगेथांती पंंहुचे यहां पर हमने खाना खाया। नंगेथांती से आपको अन्नपूर्णा साउथ (7219 mtr.), हिमचुली (6440 mtr.) और फिशटेल (6996 mtr.) पर्वतों के आश्चर्यचकित कर देने वाल नजारे दिखायी देते हैं। आगे चलते के बाद हम बांज और बुरांस के घने जंंगलोंं से होते हुए आगे बढ़े।
water fall towards Ghorepani |
सुबह 8 बजे से हम बस चलते ही जा रहे थे और 2 बज चुके थे लेकिन रास्ता खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था।
Ghorepani, Poon Hill |
हम करीब 5 बजे घोरेपानी पहुंचे यह समुद्र तल से 2900 मीटर की ऊंचाई पर है इसलिए यहां ठंड भी काफी थी। हमने वहां की मशहूर रक्सी भी ट्राई की जो मंडुवे से बनती है। घोरेपानी में काफी टूरिस्ट थे, ज्यादातर गोरे ही थे। हमने करीब 9 बजे खाना खाया और सो गये क्योंकि अगले दिन सुबह करीब 5 बजे हमें पून हिल के लिए निकलना था।
नेपाल भ्रमण का पांचवा दिन (घोरेपाणी - पून हिल - घोरेपाणी - घांदरुंंग)
हम सुबह 4 बजे उठे और तैयार होकर 5 बजे पून हिल के लिए निकल गये। घोरेपानी से पून हिल (Poon Hill) का रास्ता बहुत ही खड़ी चढ़ाई वाला था और हमें ऊपर पहुंचने में करीब 1 घंटे का समय लगा। ऊपर करीब 200-300 लोग जमा थे।
यहां लोग Sun Rise को देखने के लिए आते हैं जो एक अदभुत नजारा होता है यहां से आपको धौलागिरी, नीलगिरी, अन्नपूर्णा 1, अन्नपूर्णा साउथ, हिमचुली, अन्नपूर्णा 3, फिशटेल, अन्नपूर्णा 4 और अन्नपूर्णा 2 चोटियां दिखायी देती हैं।
पून हिल (Poon Hill) से हम करीब 7 बजे घोरेपानी वापिस आये और नाश्ता करने के बाद 8 बजे घांदरुंग के लिए निकल गये आज हमारा ट्रेक का तीसरा दिन है और आज भी हमें करीब 8 घंटे चलना है। आगे का रास्ता उतार-चढ़ाव वाला है और कल से भी ज्यादा थका देने वाला है। हम घोरेपानी से अनगिनत सीढ़ियां चढ़ने के बाद फिर से चोटी पर पहुंचे और उसके बाद नीचे उतरते हुए बनेथांती में पहुंचे यह नदी के किनारे बसी बहुत सुंदर जगह है यहां हमने खाना खाया और कुछ देर आराम करने के बाद घांदरुंग के लिए चल पड़े। ऊपर-नीचे चढ़ते-उतरते हुए हम करीब 5 बजे घांदरुंग पहुंचे। रात को हमें यही रुकना था।
खेतों और गांवों को पार करते हुए हम वापिस बीरेथांती आये और एंट्री कराने के बाद नया पुल की तरफ चल दिए। यहां से हम कार में बैठकर 3 बजे तक पोखरा आ गये थे आज हमें पोखरा में ही रहना है और कल सुबह विमान से काठमांडू जाना है।
लगभग 6 बजे हमें तैयार होकर पोखरा मार्केट घूमने निकल गये, हमारे साथ हमारा गाइड और पोर्टर भी था वो हमें एक रेस्टोरेंट में लेकर गये वहां हमने कल्चरल शो देखा साथ ही कलाकारों के साथ डांस भी किया और खाना खाकर हम करीब 11 बजे होटल वापिस आ गये। कल हमें काठमांडू जाना है और वहां से वापिस दिल्ली।
नेपाल भ्रमण का सातवां दिन (पोखरा - काठमांडू)
सुबह 8 बजे हम तैयार होकर पोखरा एयरपोर्ट के लिए निकल गये यह बेहद खूबसूरत एयरपोर्ट है, यहां से केवल छोटे विमान ही उड़ते हैं।
करीब दोपहर 12 बजे हम काठमांडू पहुंच गये वहां से होटल और फिर से थमेल घूमने चले गये। वहां खाना खाया, खरीददारी की और वापिस होटल आ गये। शाम को हमारा डिनर ट्रेवल एजेन्ट के साथ है, हम होटल से करीब 6 बजे निकले और एक पारंपरिक नेपाली रेस्टोरेंट में पहुंचे वहां पर कल्चरल शो के साथ डिनर परोसा जाता है, हमने वहां पारंपरिक नेपाली खाना खाया और कल्चरल शो देखा। करीब 11 बजे हम वापिस होटल आ गये, हमारा नेपाल का सफर आज खत्म हो रहा है।
नेपाल भ्रमण का आठवां दिन (काठमांडू - दिल्ली)सुबह हम करीब 11 बजे एयरपोर्ट पहुंचे लेकिन हमारी फ्लाइट 2 बजे की थी इसलिए हमारे पास इंतजार करने के अलावा कोई और चारा नहीं था। नेपाल छोड़कर आने का जी नहीं कर रहा था लेकिन क्या करें हर चीज का एक वक्त होता है।इससे पहले हमने कई ट्रेक किए लेकिन यह हमारा अब तक सबसे यादगार ट्रिप था। यह मुझे हमेशा याद रहेगा।
दोस्तों सभी को जीवन में कम से कम एक ऐसा यादगार ट्रिप जरुर करना चाहिए।इन्हें भी पढ़ें