समुद्र तल से 3000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल घास के ढलुआ मैदान हैंं। यहां से आप हिमालय की आश्चर्य चकित कर देने वाली चोटियों के दर्शन कर सकते हैं, गर्मियों के बाद जब सर्दियों में इन मैदानों की मखमली घास पर बर्फ पड़ती है तो यह सैलानियों और स्कीइंग के दीवानों का अड्डा बन जाती है यहां सर्दियों में स्कीइंग भी सिखायी जाती है । यहां एक अनोखा त्योहार मनाया जाता है जिसका नाम बटर फेस्टीबल है जिसमें गांव वाले और सैलानी एक दूसरे को मक्खन लगाकर होली खेलते हैं। गांव वाले पारंपरिक वेश-भूषा में लोक-नृत्य करते हैं, मट्ठा और मक्खन की होली का आगाज राधा कृष्ण के नृत्य के साथ किया जाता है, इसलिए इस समय यहां काफी चहल-पहल रहती है।
दयारा बुग्याल पहुंचने के लिए देहरादून से बस से उत्तरकाशी तक जा सकते हैं और उसके बाद टैक्सी पकड़ कर बारसू पहुंचा जा सकता है, बारसू एक खूबसूरत गांव है यहां के घर पारंरिक शैली के हैं, यहाँ के लोगों की आमदनी पर्यटन, खेती और मवेशी पालन पर निर्भर है, देहरादून से यहां तक पहुंचने में 7-8 घंटे का समय लगता है। यह रुट सीजन (मई-जून) में काफी व्यस्त रहता है क्योंकि यमनोत्री और गंगोत्री के लिए भी यही रुट है।
यहां ठहरने की उचित व्यवस्था है लेकिन बिना व्यवस्था किए जाने पर खाने-पीने की व्यवस्था करने में परेशानी हो सकती है, यहां 2-3 छोटी-छोटी दुकानेंं हैं जहां जरुरत का सामान मिलना मुश्किल हो सकता हैै इसलिए अपनी पूरी व्यवस्था करके चलना सही रहता है।
बारसू से अगला बेस कैंप लगभग 5 किमी. दूर है और बारसू से दयारा बेस कैम्प तक पहुंचने में लगभग 4 घंटे का समय लगता है, रास्ता खड़ी चढ़ाई वाला है और सर्दियों में यह बर्फ से ढका रहता है इसलिए पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिए।
एक दूसरा रास्ता भी है जो रैथाल गांव से होकर जाता है वहां से 7 किमी पैदल चलते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।
दयारा बेस कैंप |
दयारा बेस कैम्प से दयारा टॉप तक पहुंचने में 2-3 घंटे का समय लगता है। सर्दियों में यहां बहुत बर्फ होती है इसलिए समय ज्यादा लग सकता है। हम यहां दिसम्बर आखिर में गये थे, रास्ते बर्फ से ढके हुए थे जिसके कारण हमारे कुछ साथी चोटी तक नहीं पहुँच पाए थे।
बंदर पूंछ पर्वत |
दयारा टॉप से मंत्र-मुग्ध कर देने वाला नजारा दिखायी देता है यहां से आप बंदरपूंछ पर्वत, स्वर्गारोहिणी और भी कई पर्वतों के दीदार कर सकते हैं।
ट्रेकिंग में गाइड का साथ होना बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि वह आपको स्थानीय जगहों के बारे में जानकारी देता है जिससे उस जगह को करीब से जानने और समझने में मदद मिलती है इसके साथ-साथ गाइड प्रशिक्षित और अनुभवी व्यक्ति होता है जो हर तरह की परिस्थितियों में आपकी मदद करने में सक्षम होता है।
कहां रुकें
यहां पर GMVN का गेस्ट हाउस है इसके अलावा आप होम स्टे या कैम्प लगाकर रह सकते हैं, गेस्ट हाउस में आपको ज्यादा सुविधाएं नहीं मिलेंगी इसलिए पूरी व्यवस्था के साथ जाना ठीक रहता है।
अगर आप प्रकृति से प्यार करते हैं और अपने रोजाना की भाग-दौड़ से दूर निकल जाना चाहते हैं तो यह आपके लिए एक अच्छी जगह है।
अपनी राय जरुर दें।
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Bohot he khoobsurat blog Yash bhai ji
ReplyDeleteBohot he khoobsurat blog Yash bhai ji
ReplyDeleteधन्यवाद, ब्लॉग को बेहतर बनाने में मदद करें।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद यशपाल भाई मैं आपका तहे दिल से आभार करता हूँ आपने जो जानकारी दी यह बहुत ही महत्वपूर्ण है
Deleteधन्यवाद भाई...बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव दें
DeleteWow...well done bro :)...Keep writing :)
ReplyDeleteमैने भी इस सुंदर अवसर का तुत्फ उठाया
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर !