Naini Lake |
यूं तो उत्तराखंड में अनेकों दर्शनीय स्थल हैं लेकिन नैनीताल की बात की कुछ और है। मुझे पहली बार वहां जाने का अवसर 2014 में मिला था जब मैं अपने दोस्तों के साथ वहां घूमने गया था। अगस्त का महीना था इसलिए चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी सभी छोटे बड़े नाले पानी से भरे हुए थे, रह-रहकर बारिश हो रही थी और कोहरा मानों आंख मिचोली खेल रहा था, एक पल में पूरा वातावरण साफ हो जाता था लेकिन अगले ही पल 50 मीटर आगे दिखना बंद हो जाता था।
इस ट्रिप के दौरान हमने वहां के सभी तालों का भ्रमण किया था जो एक शानदार अनुभव था। सबसे पहले हम भीमताल गये और उसके बाद नौकुचिया ताल। हमने फैसला किया कि आज रात भीमताल में ही रुका जाये इसलिए हमने वहां KMVN का गेस्टहाउस में ठहरने का फैसला किया। गेस्टहाउस लगभग खाली था और सीजन न होने के कारण हमें काफी सस्ते में जगह मिल गयी। KMVN भीमताल से ऊपर थोड़ी सी दूरी पर बना है यहां से आप भीमताल और आपपास का पूरा नजारा देख सकते हैं।
भीम ताल का मनमोहक नजारा |
भीमताल व आस-पास
शाम को हम भीमताल की सैर पर निकले इसकी लंबाई लगभग यह झील समुद्र तल से 1332 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी लम्बाई 1674 मीटर, चौड़ाई 427 मीटर और गहराई 30 मीटर है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है इसका नाम महाबली भीम के नाम पर पड़ा है। ऐसा माना जाता है कि भीम ने इसे पांडवों के वनवास के दौरान बनाया था। झील के आखिर में एक बांध भी बना है जिसे विक्टोरिया बांद कहा जाता है जो आकर्षण का केन्द्र है इसके अलावा इसके किनारे पर शिवजी का प्राचीन मंदिर भी बना है।अगले दिन हम नैनीताल के लिए निकले और रास्ते में सातताल में रुके यह भी काफी बड़ा ताल है। इसका नाम सात तालों के समूह की वजह से पड़ा है यहां पर तरह-तरह के पक्षियों और तितलियों को देखा जा सकता है। हमने ताल के एक छोर से जंगल में ट्रेक करने की योजना बनायी जो काफी अच्छा रहा हम करीब 1 किमी. तक अंदर गये होंगे वहां पर थोड़ी रुकने के बाद हम वापस आ गये जब हम वापिस ताल पर आये तो मेरे पैर पर जोंक चिपकी हुई थी किसी तरह से मैंने उसे छुड़ाया।
सातताल |
सातताल में तितलियां |
इसके बाद हम करीब 1 बजे नैनीताल पहुंचे वहां मौसम पल-पल बदल रहा था कभी धूप कभी बारिश तो कभी कोहरा छाने लगता था।
नैनीताल
नैनीताल यानि मां नैना देवी का ताल, नैना देवी पार्वती का एक नाम है, ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव मां पार्वती के जले हुए शरीर को लेकर जा रहे थे तो उनकीं आंखें यहां गिर गयी थी इसीलिए इसे नैनीताल नाम मिला। इसे 64 शक्तिपीठों में से एक भी माना जाता है। नैनीताल का जिक्र स्कंद पुराण के मानस खंड में भी मिलता है जहां इसे त्रिॠषि सरोवर कहा गया है जो तीन ॠषियों अत्री, पुलसत्य और पुलाहा की कहानी बताता है जिन्होंने यहां पानी न मिलने के कारण बहुत बड़ा गड्ढा खोदा और इसे तिब्बत में पवित्र मानसरोवर के पानी से भर दिया।वर्तमान में सरोवर के उत्तरी छोर पर मां नयना देवी का मंदिर बना हुआ है। झील की लंबाई 1.432 किमी., चौड़ाई 42 मीटर और गहराई 27.3 मीटर है, समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 1938 मीटर है और झील के दो हिस्से हैं जिन्हें तल्ली ताल और मल्ली ताल कहा जाता है।
हम माल रोड़ पर घूमें, बोटिंग का आनंद उठाया, आस-पास की जगहों को देखा और शाम को वापिस भीमताल आ गये और अगले सुबह-सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गये। सच में हमारा ट्रिप बेहद यादगार रहा।
नैनीताल और आस-पास
यहां पर चिड़ियाघर, मालरोड़, तिब्बती बाजार, बड़ा बाजार, रोपवे, राजभवन, टिफिन टॉप, ईको कैव गार्डन, लवर्स प्वाइंट, हिमालय दर्शन, कैमल्स बैक, हनुमान गढ़ी आदि दर्शनीय स्थल है। आप चाइना प्वाइंट पर जा सकते हैं जहां से झील आंख की तरह दिखती है।
आप ट्रेकिंग के लिए देवपट्टा या कैमल बैक पहाड़ी तक जा सकते हैं, इसके ऊंट की आकृति का होने के कारण यह नाम मिला है।
आपकी नैनीताल यात्रा अधूरी है यदि आप हिमालय दर्शन के लिए नहीं गये है, बड़ा पत्थर पर घुड़सवारी कीजिए, नकुलधार ईको कैव गार्डन में खो जाईये, लवर्स प्वाइंट तक टहलने जाईए और अपने साथी के साथ रोमांस कीजिए, किलबरी पर शाम गुजारिए,आप इतना सब कुछ एक दिन में ही कर सकते हैं। किलबरी नैनीताल से लगभग 5 किमी दूर है मगर बेहतरीन जगह है।
लौटते समय काला ढूंगी के रास्ते से आइये यहां आपको खुर्पाताल के अलावा मनमोहक नजारे देखने को मिलेंगे।
मौसम
मौसम तो यहां का बेमिसाल रहता है अगर आपको सर्दियां पसंद है तो अयारपाटा में रुकिये और हड्डियां गला देने वाली ठंड का आनंद लीजिए।
कैसे जायें कहां रुकें
नैनीताल जाने के कई मार्ग और साधन है आप हल्द्वानी होते हुए या काला ढूंगी होते हुए जा सकते हैं नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, वोल्वो से भी जा सकते हैं मगर हल्द्वानी तक आगे आपको टैक्सी से जाना होगा।
यहां 5 स्टार से लेकर गेस्टहाउस तक सभी तरह के विकल्प मौजूद है, KMVN भी है।
यह दिल्ली और आस-पास के शहरों के लिए एक यादगार वीकेंड ट्रिप है। जरुर जायें।
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यह एक बढि़या वीकेंड ट्रेक है... जरुर पढ़ें
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