दोस्तों साइकिलिंग (Cycling) अपने आप में एक पूरी एक्सरसाइज है क्योंकि यह आपके दिल, मांस-पेशियों को मजबूत करती है, वजन, तनाव कम करने और आपको चुस्त बनाने में मदद करती है।
मुझे साइकिल (cycle) चलाना बेहद पसंद है अगर मुझे मौका मिले तो दिनभर साइकिल चलाता रहूं मगर क्या करूं दिल्ली जैसे शहर साइकिल चलाने के लिए उपयुक्त नही हैं। यहां न साइकिल के लिए अलग ट्रैक है और ना ही लोग सड़क पर साइकिल चलाने वालों को रास्ता देते हैं या उनका सम्मान करते हैं। इसीलिए ज्यादातर लोग कनॉट प्लेस, इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन, चाणक्यपुरी और आस-पास के दायरे में ही साइकिल चलाते हैं मगर मुझे थोड़ा रोमांच चाहिए होता है इसलिए मैनें दिल्ली 06 के इलाके में जाने का प्लान बनाया।
मुझे साइकिल (cycle) चलाना बेहद पसंद है अगर मुझे मौका मिले तो दिनभर साइकिल चलाता रहूं मगर क्या करूं दिल्ली जैसे शहर साइकिल चलाने के लिए उपयुक्त नही हैं। यहां न साइकिल के लिए अलग ट्रैक है और ना ही लोग सड़क पर साइकिल चलाने वालों को रास्ता देते हैं या उनका सम्मान करते हैं। इसीलिए ज्यादातर लोग कनॉट प्लेस, इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन, चाणक्यपुरी और आस-पास के दायरे में ही साइकिल चलाते हैं मगर मुझे थोड़ा रोमांच चाहिए होता है इसलिए मैनें दिल्ली 06 के इलाके में जाने का प्लान बनाया।
दिल्ली 6 की स्थिति बेहद चिंताजनक है यहां हर तरफ कूड़ा-कचरा, गंदगी फैली रहती है जिसका सबसे बड़ा कारण यहां पर लोगों की भीड़ है। जो जगह 100 लोगों के रहने के लिए है वहां हजारों लोग रहते हैं।
मैं मिंटो रोड़ कॉम्पलेक्स में रहता हूं यह सरकारी कालोनी है मगर जैसे ही आप गेट से बाहर निकलते हैं तो आपका सामना अनगिनत संख्या में खड़े ऑटो रिक्शा से होता है। खैर मैं वहां से आगे तुर्कमान रोड़ पर निकला जो अतिक्रमण के कारण पूरी तरह त्रस्त है बदबू इतनी कि सांस लेना दूभर हो जाता है मुझे ताजुब्ब होता है कि लोग ऐसी स्थिति में कैसे रह सकते हैं। वहां से मैं cycling करते जीबी पन्त अस्पताल होते हुए आटीओ, राजघाट की तरफ बढ़ा तो थोड़ी राहत महसूस हुई लेकिन बस कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुंचने पर फिर से वही दृश्य वही अराजकता का माहौल आपका स्वागत करता है, पता नहीं लोगों को कैसी शिक्षा मिलती है जो वे थोड़ी सी खाली जगह मिलते ही या तो उसे गंदा करने लगेंगे या उसका अतिक्रमण कर लेंगे। बस अड्डे से तीस हजारी की तरफ cycling करते हुए भी कमोबेस यही स्थिति नजर आती है हर जगह बहुत प्रदूषण (pollution)
है।
वहां से जैसे ही मैं पुल बंगश होते हुए आज़ाद मार्केट और वहां से आगे बढ़ते हुए नया बाजार रोड़ पर लाहौरीगेट की ओर मुड़ा तो वहां मेरा स्वागत मिली-जुली गंधों से हुआ वहां तरह-तरह के मसालों की खुशबू फैली हुई थी, गंदगी का तो कोई हिसाब ही नहीं था शायद लोग रात को जब दुकाने बंद करते हैं तो अपना सारा कूड़ा सड़क पर फेंक देते हैं।
यही हाल चांदनी चौक और स्वामी श्रृद्धानंद मार्ग का भी है, सड़कें टूटी हुई और कीचड़ तथा गंदगी से अटी पड़ी थी उसके बाद दिल्ली गेट आता है यहां अनेक बड़ी कंपनियों के ऑफिस है मगर लोगों का इतना दबाव है कि सब कुछ अस्त-व्यस्त रहता है इसके बाद जैसे ही मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ा तो हर जगह लोगों से त्रस्त थी पूरे क्षेत्र में पेशाब की गंध फैली हुई थी, लोग कहीं भी शुरु हो जाते हैं उन्हें न किसी की फिक्र होती है और ना ही वे सब्र करना जानते है और किसी से टॉयलेट के लिए पूछना तो उनके डीएनए में है ही नहीं।
मेरी आगे साइकिलिंग करने की हिम्मत नहीं हुई क्योंकि मेरा गला धूल से भर चुका था। अगर हम लोग इसी तरह से गंदगी फैलाते रहे तो दिल्ली एक दिन कूड़े का ढेर बनके रह जायेगी।
ध्यान देने योग्य बातें
मैं मिंटो रोड़ कॉम्पलेक्स में रहता हूं यह सरकारी कालोनी है मगर जैसे ही आप गेट से बाहर निकलते हैं तो आपका सामना अनगिनत संख्या में खड़े ऑटो रिक्शा से होता है। खैर मैं वहां से आगे तुर्कमान रोड़ पर निकला जो अतिक्रमण के कारण पूरी तरह त्रस्त है बदबू इतनी कि सांस लेना दूभर हो जाता है मुझे ताजुब्ब होता है कि लोग ऐसी स्थिति में कैसे रह सकते हैं। वहां से मैं cycling करते जीबी पन्त अस्पताल होते हुए आटीओ, राजघाट की तरफ बढ़ा तो थोड़ी राहत महसूस हुई लेकिन बस कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुंचने पर फिर से वही दृश्य वही अराजकता का माहौल आपका स्वागत करता है, पता नहीं लोगों को कैसी शिक्षा मिलती है जो वे थोड़ी सी खाली जगह मिलते ही या तो उसे गंदा करने लगेंगे या उसका अतिक्रमण कर लेंगे। बस अड्डे से तीस हजारी की तरफ cycling करते हुए भी कमोबेस यही स्थिति नजर आती है हर जगह बहुत प्रदूषण (pollution)
है।
वहां से जैसे ही मैं पुल बंगश होते हुए आज़ाद मार्केट और वहां से आगे बढ़ते हुए नया बाजार रोड़ पर लाहौरीगेट की ओर मुड़ा तो वहां मेरा स्वागत मिली-जुली गंधों से हुआ वहां तरह-तरह के मसालों की खुशबू फैली हुई थी, गंदगी का तो कोई हिसाब ही नहीं था शायद लोग रात को जब दुकाने बंद करते हैं तो अपना सारा कूड़ा सड़क पर फेंक देते हैं।
यही हाल चांदनी चौक और स्वामी श्रृद्धानंद मार्ग का भी है, सड़कें टूटी हुई और कीचड़ तथा गंदगी से अटी पड़ी थी उसके बाद दिल्ली गेट आता है यहां अनेक बड़ी कंपनियों के ऑफिस है मगर लोगों का इतना दबाव है कि सब कुछ अस्त-व्यस्त रहता है इसके बाद जैसे ही मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ा तो हर जगह लोगों से त्रस्त थी पूरे क्षेत्र में पेशाब की गंध फैली हुई थी, लोग कहीं भी शुरु हो जाते हैं उन्हें न किसी की फिक्र होती है और ना ही वे सब्र करना जानते है और किसी से टॉयलेट के लिए पूछना तो उनके डीएनए में है ही नहीं।
मेरी आगे साइकिलिंग करने की हिम्मत नहीं हुई क्योंकि मेरा गला धूल से भर चुका था। अगर हम लोग इसी तरह से गंदगी फैलाते रहे तो दिल्ली एक दिन कूड़े का ढेर बनके रह जायेगी।
ध्यान देने योग्य बातें
- साइकिल चलाते समय हेलमेट जरुर पहनें क्योंकि हमारे देश में साइकिल चलाने वालों को सड़क पर उतनी अहिमियत नहीं दी जाती है जितनी कि अन्य देशों में दी जाती है।
- अपनी साइकल पर लाइट रिफ्लेक्टर और ब्लिंकर लाइट्स अवश्य होनी चाहिए ताकि आपके पीछे से आने वाली गाड़ियां आपको देख सके।
- सनग्लासेस और Pollution mask जरुर पहनें यह आपको बीमार होने से बचायेगा।
- अपने साथ अपना फोन और पर्याप्त मात्रा में पानी रखें।
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