Wednesday, January 31, 2018

दिल्‍ली का दिल - कनॉट प्‍लेस (राजीव चौक)

कनॉट प्‍लेस में शान से लहराता तिरंगा

अगर आप दिल्‍ली में रहते हैं या दिल्‍ली घूमने या काम से आये हैं तो आप कनॉट प्‍लेस (राजीव चौक) अवश्‍य गये होंगे। दोस्‍तों, परिवार, रिश्‍तेदारों के साथ घूमने, शॉपिंग करने व खाने-पीने की बढ़िया जगह है। अंग्रेजों ने कनॉट प्‍लेस की नींव 1929 में रखी और 1933 में यह बनकर तैयार हुआ। एक जमाने में यह जंगल हुआ करता था और आस-पास के लोग यहां शिकार खेलने आया करते थे। इसका नाम प्रिंस आर्थर, कनॉट एंड स्‍ट्रैथर्न के पहले राजकुमार के नाम पर रखा गया है, वे रानी विक्‍टोरिया के तीसरे बेटे थे, और 1921 में भारत आये थे।  
अंग्रेज कितने दूरदर्शी थे इसका अंदाजा इसकी वास्‍तु कला से लग जाता है, आज भी यहां उस तरह की समस्‍याएं नहीं आती है जो आजादी के बाद बने अन्‍य बाजारों में होती है। हर चीज को सोच-समझकर डिजाइन किया गया है। यहां तीन सर्कल है आउटर, मिडिल और इनर सर्कल। गोलाई में बनी एक जैसी इमारतें इसे बेहद खास बनाती है।  
आज कनॉट प्‍लेस बिजनेस, खाने-पीने, खरीददारी, सिनेमा और अच्‍छा समय बिताने की सबसे बढ़िया जगहों में से एक है, सप्‍ताह के सभी दिन यहां बड़ी चहल-पहल रहती है, मगर वीकेंड में रौनक पहले से कई गुना बढ़ जाती है। यहां सभी तबकों के लोग आते हैं चाहे वे सभ्रांत हों, हाई क्‍लास, मिडिल क्‍लास सभी आते हैं। लोग कई तरह की गतिविधियां करते हुए देखे जा सकते हैं। कोई स्‍केच बना रहा है, कोई गिटार बजा रहा है, कहीं कोई कैंपेन चल रहा होता है, कोई डिस्‍काउन्‍ट के पर्चे बांट रहा है और न जाने क्‍या-क्‍या। यहां छोटे-बड़े ढेर सारे रेस्‍त्रां और बार्स हैं अगर आप थोड़ा सा घूमेंगे तो आपको किफायती रेस्‍त्रां और बार मिल जायेगा। अक्‍सर जनपथ के सामने वाले सब-वे में पेन्टिंग्‍स और स्‍कल्‍पचर की प्रदर्शनी चलती रहती है। पी ब्‍लॉक वाले सब-वे में आपको योग से जुड़े मोजैक मिल जायेंगे और अगर आप एन ब्‍लॉक वाले यानि सिंधिया हाउस वाले सबवे को इस्‍तेमाल करेंगे तो वहां आपको दीवारों पर सूर्य नमस्‍कार और योग की अन्‍य मुद्राओं के मोजेक चित्र नजर आयेंगे मगर दुख की बात है कि लोग सब-वे का इस्‍तेमाल करना पसंद ही नहीं करते हैं उन्‍हें तो एडवेंचर पसंद है, वे अपना जादुई हाथ लहराते हुए ट्रैफिक के सामने से पार करते हुए दूसरी तरफ जाते हैं।

खूबसूरत सेंट्रल पार्क सभी लोगों की पसंदीदा जगहों में से एक है खासकर युवाओं की, यहां पर एक एंफी-थिएटर भी है, यहां गांधी जी का चरखा और छोटा सा म्‍यूजियम भी है। सेंट्रल पार्क की एक और खास बात है यहां लहराता भारतीय तिरंगा जिसकी ऊंचाई 63 मीटर है और झंडे की ऊंचाई 18 मीटर और चौड़ाई 27 मीटर है।
Mahatma Gandhi Museum Connaught Place

 
खरीददारी
पालिका बाजार काफी लोकप्रिय है जिसे 1970 में बनाया गया था, यहां से आप कपड़े, महिलाओं की एक्‍सेसरीज आदि कई चीजों की खरीददारी कर सकते हैं, इसके अलावा जीवन भारती बिल्डिंग के पीछे का जनपथ मार्केट भी काफी लोकप्रिय है। आउटर सर्कल पर भी पटरी मार्केट लगता है, जहां से सस्‍ते दामों पर चीजें खरीदी जा सकती हैं।
Underpass exhibition in Connaught Place

 
सिनेमा
यहां पर चार सिनेमा हॉल जिनमें से एक रीगल प्‍लाजा बंद हो चुका है यह दिल्‍ली का सबसे पुराना सिनेमा हॉल था, जो कभी बहुत मशहूर हुआ करता था इसमें अमीर लोग ही जा सकते थे। सिनेमा के यहां यहां कसर्ट, नाटक, बैले डांस आदि कार्यक्रम भी आयोजित हुआ करते थे। 1 दिसंबर से इसमें मैडम तुसाड म्‍यूजियम खुल गया है शायद आपको पता होगा कि मैडम तुसाड म्‍यूजियम में सेलिब्रिटीज के असली जैसे दिखने वाले पुतले लगाये जाते हैं। रिवोली सिनेमा आउटर सर्कल पर शिवाजी स्‍टेडियम बस टर्मिनल के पीछे है, प्‍लाजा मिडिल लेन में और ओडियन सी ब्‍लॉक में आउटर सर्कल पर है।
खाना पीना
खाने-पीने की जगहों की यहां पर कोई कमी नहीं है चाहे आपको स्‍ट्रीट फूड खाना हो या फाइन डाइन में जाना हो या किसी बार में ड्रिंक्‍स का आनंद लेना हो, आपके पास ढेरों विकल्‍प हैं, यहां हर ब्‍लॉक में कई रेस्‍टोरेंट बार हैं, वीकेंड्स पर तो यहां गजब भीड़-भाड़ होती है, पार्किंग मिलना मुश्किल होता है। यहां अंग्रेजों के जमाने में खुला युनाइटेड कॉफी हॉउस आज भी चल रहा है।
आस-पास
कनॉट प्‍लेस के आस-पास जनपथ, जंतर-मंतर, हनुमान मंदिर, उग्रसेन की बावली, राष्‍ट्रपति भवन, इंडिया गेट, मंडी हाउस, बंगाली मार्केट, बंगला साहिब गुरुद्वारा, अशोक रोड़ पर बना कैथेड्रल चर्च, गोल डाकखाना, नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन, शिवाजी स्‍टेडियम, राजीव चौक मेट्रो स्‍टेशन, पहाड़ गंज, झंडेवाला मंदिर इत्‍यादि अनेक स्‍थान हैं जहां आप जा सकते हैं।
आप घूमने के लिए राजीव चौक मेट्रो स्‍टेशन पार्किंग या एनडीएमसी पार्किंग में जा कर इलिक्‍ट्रक साइकिल या इलेक्ट्रिक स्‍कूटर किराए पर ले सकते हैं। 
Round about near Parliament House, New Delhi
 
कैसे पहुंचे
दिल्‍ली और एनसीआर में कहीं से भी यहां मेट्रो के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है, रेल से नई दिल्‍ली तक और आगे या तो पैदल या रिक्‍शा से, बसें भी लगभग सभी हिस्‍सों से यहां आती है। रुकने के लिए तो अनेकों विकल्‍प हैं आप पहाड़गंज में रुक सकते हैं वहां सस्‍ते से लेकर महंगे तक सभी विकल्‍प हैं।

अवश्‍य पधारें मगर स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखें।

2 comments:

  1. रोचकता और उत्सुकता जगाती सुन्दर प्रस्तुति

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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