बड़ी दीबा मंदिर में सूर्यास्त का दृश्य |
दीबा माता मंदिर के बारे में जानिए
दीबा डांडा (जंगल) पट्टी खाटली का सबसे मुख्य और बड़ा जंगल है यह पूर्व से पश्चिम तक 15 किमी तक फैला हुआ है। यहां पर बांज की कई प्रजातियों जैसे कि खार्सू, मोरु आदि के अतिरिक्त अयांर, बुरांस, काफल, चीड़ जैसे अनेकों पेड़ों से भरा हुआ है। जंगल में हिरन, बारहसिंगा, गुलदार, भालू आदि जैसे जंगली जानवर रहते हैं। जंगल की चोटी पर बने दीबा माता के मंदिर से आपको पूरा गढ़वाल, कुमाऊं और हिमालय का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। दीबा मंदिर की समुद्रतल से ऊंचाई 2500 मीटर से अधिक है यहां से आपको त्रिशूल, चौखंभा, हाथी पर्वत जैसी पर्वत चोटियां दिखाती देती हैं।
Deeba Mata Mandir |
एक दिन गोरखाओं ने चुपके से आक्रमण किया और दीबा को मौत के घाट उतार दिया किन्तु इसके पश्चात भी वह गोरखाओं के आने पर लोगों को सचेत करती रहती थी। कुछ समय पश्चात वह एक व्यक्ति के स्वप्न में प्रकट हुई और उसे घटना के बारे में बताया। कहा जाता है कि उस व्यक्ति ने उसके आवाज लगाने के स्थान पर दीबा के मंदिर की स्थापना कर दी, जिसके बाद इस जगह को दीबा का डांडा के नाम से जाना जाने लगा।
दीबा माता मंदिर प्रागंण के आस-पास मौजूद पेड़ों का रहस्य
दीबा माता मंदिर प्रागंण के आस-पास मौजूद कुछ बांज के पेड़ों को काटने या छीलने पर लाल रंग का तरल निकलता है जिनके बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि ये वे व्यक्ति हैं जो क्षेत्र के लोगों की रक्षा में गोरखाओं के हाथों मारे गये हैं जबकि वनस्पति वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा पेड़ों में किसी बीमारी के कारण हो सकता है साथ ही उनका यह मानना है कि कुछ प्रजाति के पेड़ों से इस तरह का तरल निकलना सामान्य घटना है।
दीबा माता मंदिर तक कैसे पहुंचे
दीबा तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है, आप छोटी दीबा तक गाड़ी से पहुंच सकते हैं जबकि यहां से लगभग 2-3 किमी पैदल चलना होता है, मंदिर तक जाने वाला रास्ता चढ़ाई वाला है जो तरह-तरह के पेड़ों से ढका हुआ है जिससे थकान का अनुभव कम होता है।
मंदिर से आपको 180 डिग्री का नजारा दिखायी देता है उत्तर में आपको हिमालय दिखायी देता है जो व्यक्ति की थकान को पूरी तरह मिटा देता है, दिन ढलते समय का नजारा सबसे अतुलनीय होता है।
दीबा मंदिर से हिमालय का नजारा |
दीबा माता मंदिर का मौसम
यहां का मौसम गर्मियों में बहुत सुहावना रहता है अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक जाता है, बरसात में यहां हर जगह हरियाली ही हरियाली जी नजर आती है। सर्दियों में तापमान न्यूनतम -5 डिग्री से 15 डिग्री तक रहता है, दिन में तेज धूप खिलती है जबकि रात को बहुत ज्यादा ठंड रहती है। दिसंबर से लेकर जनवरी या कभी-कभी फरवरी तक यहां बर्फबारी भी होती है।
कहां ठहरें
यहां पर रात को रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, आप यहां टेंट लगाकर रह सकते हैं क्योंकि यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद शानदार होता है, अन्यथा आपको धुमाकोट या जड़ाऊखांद जाना होगा।
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